१ |
मुख्य गवयासाठी; कोरहाच्या मुलाचे स्तोत्र. अहो सर्व लोकहो, हे ऐका; जगात राहणारे उच्च व नीच, |
२ |
श्रीमंत व दरिद्री लोकहो, तुम्ही सर्व कान द्या. |
३ |
माझे मुख ज्ञान वदणार आहे; माझ्या मनचे विचार सुज्ञतेचे असणार. |
४ |
मी दृष्टान्ताकडे कान लावीन; मी वीणेवर गाणी गाऊन गूढवचन उलगडून सांगेन. |
५ |
मला फसवणार्यांचा दुष्टपणा मला वेढतो; अशा विपत्काली मी का भ्यावे? |
६ |
ते तर आपल्या संपत्तीवर भरवसा ठेवतात, व आपल्या विपुल धनाचा तोरा मिरवतात. |
७ |
कोणाही मनुष्यास आपल्या भावाला मुक्त करता येत नाही; किंवा त्याच्याबद्दल देवाला खंडणी देता येत नाही. |
८ |
त्याने सर्वदा जगावे, त्याला कधी गर्तेचा अनुभव घडू नये, म्हणून त्याला देवाला खंडणी भरून देता येत नाही; |
९ |
कारण त्याच्या जिवाची खंडणी इतकी मोठी आहे की तिची भरपाई करण्याचे नेहमी अपुरेच राहणार. |
१० |
कारण तो पाहतो की, ज्ञानी मरतात, तसेच मूढ व पशुतुल्य नष्ट होतात, आणि आपले धन दुसर्यांना ठेवून जातात. |
११ |
त्यांनी आपल्या जमिनीस आपली नावे दिली; तरी त्यांच्या कबरांच त्यांची कायमची घरे आणि त्यांची पिढ्यानपिढ्यांची वसतिस्थाने होतील. |
१२ |
मनुष्य प्रतिष्ठा पावला तरी टिकत नाही; तो नश्वर पशूंसारखा आहे. |
१३ |
जे अभिमानी आहेत त्यांची, व त्यांचे बोलणे ज्यांना पसंत पडते अशा त्यांच्या अनुयायांचीही हीच गत आहे. (सेला) |
१४ |
ते मेंढरांच्या कळपासारखे अधोलोकासाठी नेमलेले आहेत; मृत्यू त्यांचा मेंढपाळ आहे; प्रभातकाल झाला म्हणजे नीतिमान त्यांच्यावर प्रभुत्व करतील; त्यांचे देह अधोलोकात क्षय पावतील; त्यांना वस्तीला कोठे थारा राहणार नाही; |
१५ |
परंतु देव माझा जीव अधोलोकाच्या कबजातून सोडवील; कारण तो मला आपणाजवळ घेईल. (सेला) |
१६ |
कोणी मनुष्य धनवान झाला, त्याच्या घरचा डामडौल वाढला तरी तू घाबरू नकोस; |
१७ |
कारण तो मृत्यू पावेल तेव्हा बरोबर काहीच घेऊन जाणार नाही; त्याचा थाटमाट त्याच्यामागून खाली उतरणार नाही. |
१८ |
तो जिवंत असता आपल्या जिवाला धन्य समजून म्हणे, “तू आपले बरे करून घेतलेस म्हणजे लोक तुझी स्तुती करतील,” |
१९ |
तरी तो आपल्या वडिलांच्या पिढीला जाऊन मिळेल; त्यांच्या दृष्टीस प्रकाश कधीच पडणार नाही. |
२० |
मनुष्य प्रतिष्ठित असून त्याला अक्कल नसली, तर तो नश्वर पशूंसारखा आहे.
|
Marathi Bible 2015 |
Copyright © 2015 by The Bible Society of India |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
स्तोत्र ४९:1 |
स्तोत्र ४९:2 |
स्तोत्र ४९:3 |
स्तोत्र ४९:4 |
स्तोत्र ४९:5 |
स्तोत्र ४९:6 |
स्तोत्र ४९:7 |
स्तोत्र ४९:8 |
स्तोत्र ४९:9 |
स्तोत्र ४९:10 |
स्तोत्र ४९:11 |
स्तोत्र ४९:12 |
स्तोत्र ४९:13 |
स्तोत्र ४९:14 |
स्तोत्र ४९:15 |
स्तोत्र ४९:16 |
स्तोत्र ४९:17 |
स्तोत्र ४९:18 |
स्तोत्र ४९:19 |
स्तोत्र ४९:20 |
|
|
|
|
|
|
स्तोत्र 1 / स्तोत्र 1 |
स्तोत्र 2 / स्तोत्र 2 |
स्तोत्र 3 / स्तोत्र 3 |
स्तोत्र 4 / स्तोत्र 4 |
स्तोत्र 5 / स्तोत्र 5 |
स्तोत्र 6 / स्तोत्र 6 |
स्तोत्र 7 / स्तोत्र 7 |
स्तोत्र 8 / स्तोत्र 8 |
स्तोत्र 9 / स्तोत्र 9 |
स्तोत्र 10 / स्तोत्र 10 |
स्तोत्र 11 / स्तोत्र 11 |
स्तोत्र 12 / स्तोत्र 12 |
स्तोत्र 13 / स्तोत्र 13 |
स्तोत्र 14 / स्तोत्र 14 |
स्तोत्र 15 / स्तोत्र 15 |
स्तोत्र 16 / स्तोत्र 16 |
स्तोत्र 17 / स्तोत्र 17 |
स्तोत्र 18 / स्तोत्र 18 |
स्तोत्र 19 / स्तोत्र 19 |
स्तोत्र 20 / स्तोत्र 20 |
स्तोत्र 21 / स्तोत्र 21 |
स्तोत्र 22 / स्तोत्र 22 |
स्तोत्र 23 / स्तोत्र 23 |
स्तोत्र 24 / स्तोत्र 24 |
स्तोत्र 25 / स्तोत्र 25 |
स्तोत्र 26 / स्तोत्र 26 |
स्तोत्र 27 / स्तोत्र 27 |
स्तोत्र 28 / स्तोत्र 28 |
स्तोत्र 29 / स्तोत्र 29 |
स्तोत्र 30 / स्तोत्र 30 |
स्तोत्र 31 / स्तोत्र 31 |
स्तोत्र 32 / स्तोत्र 32 |
स्तोत्र 33 / स्तोत्र 33 |
स्तोत्र 34 / स्तोत्र 34 |
स्तोत्र 35 / स्तोत्र 35 |
स्तोत्र 36 / स्तोत्र 36 |
स्तोत्र 37 / स्तोत्र 37 |
स्तोत्र 38 / स्तोत्र 38 |
स्तोत्र 39 / स्तोत्र 39 |
स्तोत्र 40 / स्तोत्र 40 |
स्तोत्र 41 / स्तोत्र 41 |
स्तोत्र 42 / स्तोत्र 42 |
स्तोत्र 43 / स्तोत्र 43 |
स्तोत्र 44 / स्तोत्र 44 |
स्तोत्र 45 / स्तोत्र 45 |
स्तोत्र 46 / स्तोत्र 46 |
स्तोत्र 47 / स्तोत्र 47 |
स्तोत्र 48 / स्तोत्र 48 |
स्तोत्र 49 / स्तोत्र 49 |
स्तोत्र 50 / स्तोत्र 50 |
स्तोत्र 51 / स्तोत्र 51 |
स्तोत्र 52 / स्तोत्र 52 |
स्तोत्र 53 / स्तोत्र 53 |
स्तोत्र 54 / स्तोत्र 54 |
स्तोत्र 55 / स्तोत्र 55 |
स्तोत्र 56 / स्तोत्र 56 |
स्तोत्र 57 / स्तोत्र 57 |
स्तोत्र 58 / स्तोत्र 58 |
स्तोत्र 59 / स्तोत्र 59 |
स्तोत्र 60 / स्तोत्र 60 |
स्तोत्र 61 / स्तोत्र 61 |
स्तोत्र 62 / स्तोत्र 62 |
स्तोत्र 63 / स्तोत्र 63 |
स्तोत्र 64 / स्तोत्र 64 |
स्तोत्र 65 / स्तोत्र 65 |
स्तोत्र 66 / स्तोत्र 66 |
स्तोत्र 67 / स्तोत्र 67 |
स्तोत्र 68 / स्तोत्र 68 |
स्तोत्र 69 / स्तोत्र 69 |
स्तोत्र 70 / स्तोत्र 70 |
स्तोत्र 71 / स्तोत्र 71 |
स्तोत्र 72 / स्तोत्र 72 |
स्तोत्र 73 / स्तोत्र 73 |
स्तोत्र 74 / स्तोत्र 74 |
स्तोत्र 75 / स्तोत्र 75 |
स्तोत्र 76 / स्तोत्र 76 |
स्तोत्र 77 / स्तोत्र 77 |
स्तोत्र 78 / स्तोत्र 78 |
स्तोत्र 79 / स्तोत्र 79 |
स्तोत्र 80 / स्तोत्र 80 |
स्तोत्र 81 / स्तोत्र 81 |
स्तोत्र 82 / स्तोत्र 82 |
स्तोत्र 83 / स्तोत्र 83 |
स्तोत्र 84 / स्तोत्र 84 |
स्तोत्र 85 / स्तोत्र 85 |
स्तोत्र 86 / स्तोत्र 86 |
स्तोत्र 87 / स्तोत्र 87 |
स्तोत्र 88 / स्तोत्र 88 |
स्तोत्र 89 / स्तोत्र 89 |
स्तोत्र 90 / स्तोत्र 90 |
स्तोत्र 91 / स्तोत्र 91 |
स्तोत्र 92 / स्तोत्र 92 |
स्तोत्र 93 / स्तोत्र 93 |
स्तोत्र 94 / स्तोत्र 94 |
स्तोत्र 95 / स्तोत्र 95 |
स्तोत्र 96 / स्तोत्र 96 |
स्तोत्र 97 / स्तोत्र 97 |
स्तोत्र 98 / स्तोत्र 98 |
स्तोत्र 99 / स्तोत्र 99 |
स्तोत्र 100 / स्तोत्र 100 |
स्तोत्र 101 / स्तोत्र 101 |
स्तोत्र 102 / स्तोत्र 102 |
स्तोत्र 103 / स्तोत्र 103 |
स्तोत्र 104 / स्तोत्र 104 |
स्तोत्र 105 / स्तोत्र 105 |
स्तोत्र 106 / स्तोत्र 106 |
स्तोत्र 107 / स्तोत्र 107 |
स्तोत्र 108 / स्तोत्र 108 |
स्तोत्र 109 / स्तोत्र 109 |
स्तोत्र 110 / स्तोत्र 110 |
स्तोत्र 111 / स्तोत्र 111 |
स्तोत्र 112 / स्तोत्र 112 |
स्तोत्र 113 / स्तोत्र 113 |
स्तोत्र 114 / स्तोत्र 114 |
स्तोत्र 115 / स्तोत्र 115 |
स्तोत्र 116 / स्तोत्र 116 |
स्तोत्र 117 / स्तोत्र 117 |
स्तोत्र 118 / स्तोत्र 118 |
स्तोत्र 119 / स्तोत्र 119 |
स्तोत्र 120 / स्तोत्र 120 |
स्तोत्र 121 / स्तोत्र 121 |
स्तोत्र 122 / स्तोत्र 122 |
स्तोत्र 123 / स्तोत्र 123 |
स्तोत्र 124 / स्तोत्र 124 |
स्तोत्र 125 / स्तोत्र 125 |
स्तोत्र 126 / स्तोत्र 126 |
स्तोत्र 127 / स्तोत्र 127 |
स्तोत्र 128 / स्तोत्र 128 |
स्तोत्र 129 / स्तोत्र 129 |
स्तोत्र 130 / स्तोत्र 130 |
स्तोत्र 131 / स्तोत्र 131 |
स्तोत्र 132 / स्तोत्र 132 |
स्तोत्र 133 / स्तोत्र 133 |
स्तोत्र 134 / स्तोत्र 134 |
स्तोत्र 135 / स्तोत्र 135 |
स्तोत्र 136 / स्तोत्र 136 |
स्तोत्र 137 / स्तोत्र 137 |
स्तोत्र 138 / स्तोत्र 138 |
स्तोत्र 139 / स्तोत्र 139 |
स्तोत्र 140 / स्तोत्र 140 |
स्तोत्र 141 / स्तोत्र 141 |
स्तोत्र 142 / स्तोत्र 142 |
स्तोत्र 143 / स्तोत्र 143 |
स्तोत्र 144 / स्तोत्र 144 |
स्तोत्र 145 / स्तोत्र 145 |
स्तोत्र 146 / स्तोत्र 146 |
स्तोत्र 147 / स्तोत्र 147 |
स्तोत्र 148 / स्तोत्र 148 |
स्तोत्र 149 / स्तोत्र 149 |
स्तोत्र 150 / स्तोत्र 150 |