१ |
मुख्य गवयासाठी; कोरहाच्या मुलांचे मस्कील (बोधपर स्तोत्र). हरिणी जशी पाण्याच्या प्रवाहांसाठी लुलपते तसा हे देवा, माझा जीव तुझ्यासाठी लुलपत आहे. |
२ |
माझा जीव देवासाठी, जिवंत देवासाठी तान्हेला झाला आहे; मी केव्हा देवासमोर येऊन त्याचे दर्शन घेईन? |
३ |
“तुझा देव कोठे आहे?” असे ते मला सतत म्हणतात, म्हणून अहोरात्र माझे अश्रू माझा आहार झाले आहेत. |
४ |
लोकसमुदाय सण पाळीत असे तेव्हा त्यांच्या मेळ्याबरोबर मी कसा चाले; आणि आनंदोत्सव व देवस्तवन ह्यांचा गजर चालला असता देवाच्या घराकडे त्यांना मी कसा मिरवत नेई, हे आठवून माझ्या जिवाचे पाणी पाणी होते. |
५ |
हे माझ्या जिवा, तू का खिन्न झालास? तू आतल्या आत का तळमळत आहेस? देवाची आशा धर; तो मला दर्शन देऊन माझा उद्धार करतो, म्हणून मी त्याचे पुनरपि गुणगान गाईन. |
६ |
हे माझ्या देवा, माझा जीव आतल्या आत खिन्न झाला आहे, म्हणून यार्देनेच्या व हर्मोनाच्या प्रदेशात व मिस्हाराच्या डोंगराजवळ मी तुझे स्मरण करतो. |
७ |
तुझ्या धबधब्यांच्या आवाजाने जणू काय लोंढा लोंढ्याला बोलावत आहे; तुझ्या सर्व लाटा व कल्लोळ माझ्यावरून गेले आहेत. |
८ |
तरी परमेश्वर दिवसा आपले वात्सल्य प्रकट करील; मी रात्री त्याचे गीत, माझ्या जीवनदात्या देवाची प्रार्थना गात राहीन. |
९ |
देव जो माझा खडक त्याला मी म्हणेन, “तू मला का विसरलास? वैर्याच्या जाचामुळे सुतक्याच्या वेषाने मी का फिरावे?” |
१० |
“तुझा देव कोठे आहे?” असे माझे शत्रू मला एकसारखे म्हणून माझी निंदा करतात; ह्यामुळे माझ्या हाडांचा चुराडा होतो. |
११ |
हे माझ्या जिवा, तू का खिन्न झालास? तू आतल्या आत का तळमळत आहेस? देवाची आशा धर; तो माझा देव मला दर्शन देऊन माझा उद्धार करतो, म्हणून मी त्याचे पुनरपि गुणगान गाईन.
|
Marathi Bible 2015 |
Copyright © 2015 by The Bible Society of India |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
स्तोत्र ४२:1 |
स्तोत्र ४२:2 |
स्तोत्र ४२:3 |
स्तोत्र ४२:4 |
स्तोत्र ४२:5 |
स्तोत्र ४२:6 |
स्तोत्र ४२:7 |
स्तोत्र ४२:8 |
स्तोत्र ४२:9 |
स्तोत्र ४२:10 |
स्तोत्र ४२:11 |
|
|
|
|
|
|
स्तोत्र 1 / स्तोत्र 1 |
स्तोत्र 2 / स्तोत्र 2 |
स्तोत्र 3 / स्तोत्र 3 |
स्तोत्र 4 / स्तोत्र 4 |
स्तोत्र 5 / स्तोत्र 5 |
स्तोत्र 6 / स्तोत्र 6 |
स्तोत्र 7 / स्तोत्र 7 |
स्तोत्र 8 / स्तोत्र 8 |
स्तोत्र 9 / स्तोत्र 9 |
स्तोत्र 10 / स्तोत्र 10 |
स्तोत्र 11 / स्तोत्र 11 |
स्तोत्र 12 / स्तोत्र 12 |
स्तोत्र 13 / स्तोत्र 13 |
स्तोत्र 14 / स्तोत्र 14 |
स्तोत्र 15 / स्तोत्र 15 |
स्तोत्र 16 / स्तोत्र 16 |
स्तोत्र 17 / स्तोत्र 17 |
स्तोत्र 18 / स्तोत्र 18 |
स्तोत्र 19 / स्तोत्र 19 |
स्तोत्र 20 / स्तोत्र 20 |
स्तोत्र 21 / स्तोत्र 21 |
स्तोत्र 22 / स्तोत्र 22 |
स्तोत्र 23 / स्तोत्र 23 |
स्तोत्र 24 / स्तोत्र 24 |
स्तोत्र 25 / स्तोत्र 25 |
स्तोत्र 26 / स्तोत्र 26 |
स्तोत्र 27 / स्तोत्र 27 |
स्तोत्र 28 / स्तोत्र 28 |
स्तोत्र 29 / स्तोत्र 29 |
स्तोत्र 30 / स्तोत्र 30 |
स्तोत्र 31 / स्तोत्र 31 |
स्तोत्र 32 / स्तोत्र 32 |
स्तोत्र 33 / स्तोत्र 33 |
स्तोत्र 34 / स्तोत्र 34 |
स्तोत्र 35 / स्तोत्र 35 |
स्तोत्र 36 / स्तोत्र 36 |
स्तोत्र 37 / स्तोत्र 37 |
स्तोत्र 38 / स्तोत्र 38 |
स्तोत्र 39 / स्तोत्र 39 |
स्तोत्र 40 / स्तोत्र 40 |
स्तोत्र 41 / स्तोत्र 41 |
स्तोत्र 42 / स्तोत्र 42 |
स्तोत्र 43 / स्तोत्र 43 |
स्तोत्र 44 / स्तोत्र 44 |
स्तोत्र 45 / स्तोत्र 45 |
स्तोत्र 46 / स्तोत्र 46 |
स्तोत्र 47 / स्तोत्र 47 |
स्तोत्र 48 / स्तोत्र 48 |
स्तोत्र 49 / स्तोत्र 49 |
स्तोत्र 50 / स्तोत्र 50 |
स्तोत्र 51 / स्तोत्र 51 |
स्तोत्र 52 / स्तोत्र 52 |
स्तोत्र 53 / स्तोत्र 53 |
स्तोत्र 54 / स्तोत्र 54 |
स्तोत्र 55 / स्तोत्र 55 |
स्तोत्र 56 / स्तोत्र 56 |
स्तोत्र 57 / स्तोत्र 57 |
स्तोत्र 58 / स्तोत्र 58 |
स्तोत्र 59 / स्तोत्र 59 |
स्तोत्र 60 / स्तोत्र 60 |
स्तोत्र 61 / स्तोत्र 61 |
स्तोत्र 62 / स्तोत्र 62 |
स्तोत्र 63 / स्तोत्र 63 |
स्तोत्र 64 / स्तोत्र 64 |
स्तोत्र 65 / स्तोत्र 65 |
स्तोत्र 66 / स्तोत्र 66 |
स्तोत्र 67 / स्तोत्र 67 |
स्तोत्र 68 / स्तोत्र 68 |
स्तोत्र 69 / स्तोत्र 69 |
स्तोत्र 70 / स्तोत्र 70 |
स्तोत्र 71 / स्तोत्र 71 |
स्तोत्र 72 / स्तोत्र 72 |
स्तोत्र 73 / स्तोत्र 73 |
स्तोत्र 74 / स्तोत्र 74 |
स्तोत्र 75 / स्तोत्र 75 |
स्तोत्र 76 / स्तोत्र 76 |
स्तोत्र 77 / स्तोत्र 77 |
स्तोत्र 78 / स्तोत्र 78 |
स्तोत्र 79 / स्तोत्र 79 |
स्तोत्र 80 / स्तोत्र 80 |
स्तोत्र 81 / स्तोत्र 81 |
स्तोत्र 82 / स्तोत्र 82 |
स्तोत्र 83 / स्तोत्र 83 |
स्तोत्र 84 / स्तोत्र 84 |
स्तोत्र 85 / स्तोत्र 85 |
स्तोत्र 86 / स्तोत्र 86 |
स्तोत्र 87 / स्तोत्र 87 |
स्तोत्र 88 / स्तोत्र 88 |
स्तोत्र 89 / स्तोत्र 89 |
स्तोत्र 90 / स्तोत्र 90 |
स्तोत्र 91 / स्तोत्र 91 |
स्तोत्र 92 / स्तोत्र 92 |
स्तोत्र 93 / स्तोत्र 93 |
स्तोत्र 94 / स्तोत्र 94 |
स्तोत्र 95 / स्तोत्र 95 |
स्तोत्र 96 / स्तोत्र 96 |
स्तोत्र 97 / स्तोत्र 97 |
स्तोत्र 98 / स्तोत्र 98 |
स्तोत्र 99 / स्तोत्र 99 |
स्तोत्र 100 / स्तोत्र 100 |
स्तोत्र 101 / स्तोत्र 101 |
स्तोत्र 102 / स्तोत्र 102 |
स्तोत्र 103 / स्तोत्र 103 |
स्तोत्र 104 / स्तोत्र 104 |
स्तोत्र 105 / स्तोत्र 105 |
स्तोत्र 106 / स्तोत्र 106 |
स्तोत्र 107 / स्तोत्र 107 |
स्तोत्र 108 / स्तोत्र 108 |
स्तोत्र 109 / स्तोत्र 109 |
स्तोत्र 110 / स्तोत्र 110 |
स्तोत्र 111 / स्तोत्र 111 |
स्तोत्र 112 / स्तोत्र 112 |
स्तोत्र 113 / स्तोत्र 113 |
स्तोत्र 114 / स्तोत्र 114 |
स्तोत्र 115 / स्तोत्र 115 |
स्तोत्र 116 / स्तोत्र 116 |
स्तोत्र 117 / स्तोत्र 117 |
स्तोत्र 118 / स्तोत्र 118 |
स्तोत्र 119 / स्तोत्र 119 |
स्तोत्र 120 / स्तोत्र 120 |
स्तोत्र 121 / स्तोत्र 121 |
स्तोत्र 122 / स्तोत्र 122 |
स्तोत्र 123 / स्तोत्र 123 |
स्तोत्र 124 / स्तोत्र 124 |
स्तोत्र 125 / स्तोत्र 125 |
स्तोत्र 126 / स्तोत्र 126 |
स्तोत्र 127 / स्तोत्र 127 |
स्तोत्र 128 / स्तोत्र 128 |
स्तोत्र 129 / स्तोत्र 129 |
स्तोत्र 130 / स्तोत्र 130 |
स्तोत्र 131 / स्तोत्र 131 |
स्तोत्र 132 / स्तोत्र 132 |
स्तोत्र 133 / स्तोत्र 133 |
स्तोत्र 134 / स्तोत्र 134 |
स्तोत्र 135 / स्तोत्र 135 |
स्तोत्र 136 / स्तोत्र 136 |
स्तोत्र 137 / स्तोत्र 137 |
स्तोत्र 138 / स्तोत्र 138 |
स्तोत्र 139 / स्तोत्र 139 |
स्तोत्र 140 / स्तोत्र 140 |
स्तोत्र 141 / स्तोत्र 141 |
स्तोत्र 142 / स्तोत्र 142 |
स्तोत्र 143 / स्तोत्र 143 |
स्तोत्र 144 / स्तोत्र 144 |
स्तोत्र 145 / स्तोत्र 145 |
स्तोत्र 146 / स्तोत्र 146 |
स्तोत्र 147 / स्तोत्र 147 |
स्तोत्र 148 / स्तोत्र 148 |
स्तोत्र 149 / स्तोत्र 149 |
स्तोत्र 150 / स्तोत्र 150 |