१ |
मुख्य गवयासाठी; दाविदाचे स्तोत्र. हे माझ्या स्तुतिपात्र देवा, मौन धरू नकोस; |
२ |
कारण दुष्टांनी व कपटी जनांनी माझ्यावर तोंड सोडले आहे; ते खोडसाळ जिभेने माझ्याविरुद्ध बोलले आहेत. |
३ |
त्यांनी माझ्यावर द्वेषयुक्त शब्दांचा वर्षाव केला आहे, ते माझ्याशी विनाकारण झगडले. |
४ |
मी प्रेमाने वागत असता ते मला विरोध करतात; मी तर प्रार्थनेत मग्न असतो. |
५ |
मी केलेल्या बर्याची परतफेड त्यांनी वाइटाने केली, व माझ्या प्रेमाची फेड द्वेषाने केली. |
६ |
त्याच्यावर दुर्जनाला अधिकारी नेम; त्याच्या उजव्या हाताकडे विरोधी उभा राहो. |
७ |
त्याचा न्याय होईल, तेव्हा तो अपराधी ठरो, आणि त्याची प्रार्थना पाप ठरो. |
८ |
त्याचे दिवस थोडे होवोत; त्याचा हुद्दा दुसरा घेवो. |
९ |
त्याची मुले अनाथ होवोत, व त्याची बायको विधवा होवो. |
१० |
त्याची मुले भीक मागत फिरोत, आणि ती आपल्या उजाड झालेल्या वस्तीतून बाहेर पडून अन्नान्न करोत. |
११ |
सावकार त्याचे सर्वस्व हिरावून घेवो; त्याची कष्टाची कमाई परके लुटोत. |
१२ |
त्याच्यावर कोणीही दया न करो; त्याच्या अनाथ मुलांची कीव कोणालाही न येवो. |
१३ |
त्याच्या वंशाचा उच्छेद होवो; भावी पिढीत त्याचा नामनिर्देश न होवो. |
१४ |
त्याच्या वाडवडिलांच्या अनीतीचे परमेश्वराला स्मरण राहो; त्याच्या आईचे पातक काढून टाकले न जावो. |
१५ |
त्याची पातके परमेश्वरापुढे सदा राहोत; तो पृथ्वीवरून त्यांचे स्मरण नाहीसे करो. |
१६ |
कारण त्या मनुष्याने दया करण्याची आठवण ठेवली नाही, तर दीन, दरिद्री व दुःखी माणसांचा वध करण्यासाठी तो त्यांच्या पाठीस लागला. |
१७ |
शाप देण्याची त्याला आवड असे म्हणून तो शाप त्यालाच लागो; आशीर्वाद देण्याची त्याला आवड नसे म्हणून तो आशीर्वादाला मुको. |
१८ |
शाप देणे हा त्याचा पेहराव बनला होता, म्हणून ते त्याच्या पोटात पाण्यासारखे व त्याच्या हाडांत तेलासारखे भिनून जावो. |
१९ |
ते त्याला पांघरायच्या वस्त्राप्रमाणे होवो, नेहमी वापरायच्या कंबरपट्ट्याप्रमाणे ते त्याला जखडून राहो. |
२० |
माझ्या विरोध्यांना, माझ्याविरुद्ध वाईट बोलणार्यांना परमेश्वराकडून हेच प्रतिफळ मिळो. |
२१ |
हे परमेश्वरा, हे प्रभू, तू आपल्या नावासाठी मला वागवून घे; तुझी दया उत्तम आहे म्हणून तू मला सोडव. |
२२ |
कारण मी दीन व दरिद्री आहे; आणि माझे हृदय घायाळ झाले आहे. |
२३ |
उतरत्या सावलीप्रमाणे मी चाललो आहे; मी टोळाप्रमाणे हुसकावला जात आहे. |
२४ |
उपासाने माझे गुडघे लटपटत आहेत; माझे शरीर क्षीण झाले आहे. |
२५ |
मी लोकांना निंदेचा विषय झालो आहे; मला पाहून ते माना हलवतात. |
२६ |
हे परमेश्वरा, माझ्या देवा, मला साहाय्य कर; तू आपल्या दयेस अनुसरून मला तार. |
२७ |
हे परमेश्वरा, ह्यात तुझा हात आहे, हे तूच केले आहेस असे ते जाणोत. |
२८ |
ते शाप देतात पण तू आशीर्वाद देतोस; ते उठतील तेव्हा लज्जित होतील, परंतु तुझा सेवक हर्षित होईल. |
२९ |
माझे विरोधी अपमानाने व्याप्त होतील. झग्याप्रमाणे ते लज्जा पांघरतील. |
३० |
मी आपल्या तोंडाने परमेश्वराचे पुष्कळ उपकारस्मरण करीन, लोकसमुदायात त्याला स्तवीन. |
३१ |
कारण दरिद्र्याचा जीव दोषी ठरवणारे जे आहेत त्यांच्यापासून त्याचा बचाव करण्यासाठी तो त्याच्या उजव्या हाताकडे उभा असतो.
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Marathi Bible 2015 |
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