1 |
की हम सभ फेर अपने प्रशंसा करऽ लगलहुँ? की किछु आन लोक सभ जकाँ हमरो सभ केँ एहि बातक आवश्यकता अछि जे सिफारिश-पत्र अहाँ सभ केँ देखाबी अथवा अहाँ सभ सँ लिखाबी? |
2 |
हमरा सभक पत्र तँ अहीं सभ छी जे हमरा सभक हृदय पर लिखल गेल छी आ जकरा सभ केओ देखि आ पढ़ि सकैत अछि। |
3 |
ई स्पष्ट अछि जे अहाँ सभ मसीहक पत्र छी जकरा ओ हमरा सभ सँ लिखबौलनि। ई पत्र मोइस सँ नहि, बल्कि जीवित परमेश्वरक आत्मा सँ, पाथरक पाटी पर नहि, बल्कि मानव हृदयक पाटी पर लिखल गेल अछि। |
4 |
एहन बात कहबाक साहस एहि लेल अछि जे हमरा सभ केँ मसीहक कारणेँ परमेश्वर पर भरोसा अछि। |
5 |
ई नहि, जे हम सभ अपने एतेक योग्य छी जे अपने सँ किछु कऽ सकबाक दावा करी, बल्कि हमरा सभक योग्यता तँ परमेश्वरेक दिस सँ अबैत अछि। |
6 |
वैह हमरा सभ केँ योग्य बनौने छथि, जाहि सँ हम सभ ओहि नव सम्बन्धक विषय मे सुना सकी जे परमेश्वर अपन वचन दऽ कऽ मनुष्यक संग स्थापित कयने छथि। ई नव सम्बन्ध अक्षर सँ लिखल विधान द्वारा स्थापित नहि भेल, बल्कि परमेश्वरक आत्मा द्वारा, किएक तँ अक्षर वला विधान मारैत अछि मुदा आत्मा जीवन दैत छथि। |
7 |
आब सोचू। मूसा केँ देल गेल विधान जे पाथर पर खोधि कऽ लिखल छल से मृत्यु मे लऽ जाइत छल। तैयो ओ एहन महिमाक संग आयल जे मूसाक मुँह सेहो एतेक चमकैत छल जे इस्राएली सभ एकटक लगा कऽ हुनका मुँह दिस नहि देखि सकल, जखन कि ओ चमक तुरत फेर मन्द पड़ऽ लगैत छल। जँ मृत्यु दिआबऽ वला विधान एतेक महिमामय छल, |
8 |
तँ की पवित्र आत्मा दिआबऽ वला विधान ओहि सँ आरो बेसी महिमामय नहि होयत? |
9 |
जखन दोषी ठहराबऽ वला विधान एतेक महिमामय छल तँ की धार्मिक ठहराबऽ वला विधान ओहि सँ बहुत अधिक महिमामय नहि होयत? |
10 |
वास्तव मे, ओ जे पहिने महिमामय छल, तकरा एहि सर्वश्रेष्ठ महिमाक सम्मुख आब कोनो महिमा नहि छैक। |
11 |
किएक तँ जखन नहि टिकऽ वला विधान एतेक महिमामय छल तँ सदा अटल रहऽ वला विधान कतेक आरो महिमामय होयत! |
12 |
हमरा सभक एहने आशा होयबाक कारणेँ हम सभ साहसपूर्बक बजैत छी। |
13 |
हम सभ मूसा जकाँ नहि छी। मूसा तँ अपना मुँह पर परदा रखने रहैत छलाह जाहि सँ इस्राएली लोक सभ लुप्त होमऽ वला चमक पर अन्त तक नजरि नहि टिकौने रहय। |
14 |
मुदा ओकरा सभक मोन कठोर कयल गेल छलैक। आइओ धरि जखन पुरान विधान पढ़ल जाइत अछि तँ वैह परदा लागल रहैत छैक। ओ हटाओल नहि गेल अछि किएक तँ ओकरा मात्र मसीह द्वारा हटाओल जाइत अछि। |
15 |
हँ, आइओ जखन मूसाक धर्म-नियम पढ़ल जाइत अछि तँ ओकरा सभक मोन पर परदा टाँगल रहैत छैक। |
16 |
मुदा जखने केओ प्रभु लग फिरैत अछि तँ ओ परदा हटा देल जाइत अछि। |
17 |
जाहि प्रभु लग फिरबाक अछि, से नव विधानक ओ आत्मा छथि, आ जतऽ प्रभुक आत्मा छथि ततऽ स्वतन्त्रता अछि। |
18 |
मुदा अपना सभक मुँह पर परदा नहि अछि आ जहिना अएना मे देखल जाइत अछि, तहिना अपना सभ प्रभुक महिमाक प्रतिबिम्ब देखैत छी। संगहि अपना सभ क्रमशः बढ़ैत मात्रा मे ओहि महिमामय रूप मे बदलल जाइत छी। ई रूपान्तर प्रभुक, अर्थात् पवित्र आत्माक, काज छनि। |
Maithili Bible 2010 |
©2010 The Bible Society of India and WBT |
2 कोरिन्थी 3:1 |
2 कोरिन्थी 3:2 |
2 कोरिन्थी 3:3 |
2 कोरिन्थी 3:4 |
2 कोरिन्थी 3:5 |
2 कोरिन्थी 3:6 |
2 कोरिन्थी 3:7 |
2 कोरिन्थी 3:8 |
2 कोरिन्थी 3:9 |
2 कोरिन्थी 3:10 |
2 कोरिन्थी 3:11 |
2 कोरिन्थी 3:12 |
2 कोरिन्थी 3:13 |
2 कोरिन्थी 3:14 |
2 कोरिन्थी 3:15 |
2 कोरिन्थी 3:16 |
2 कोरिन्थी 3:17 |
2 कोरिन्थी 3:18 |
2 कोरिन्थी 1 / 2को 1 |
2 कोरिन्थी 2 / 2को 2 |
2 कोरिन्थी 3 / 2को 3 |
2 कोरिन्थी 4 / 2को 4 |
2 कोरिन्थी 5 / 2को 5 |
2 कोरिन्थी 6 / 2को 6 |
2 कोरिन्थी 7 / 2को 7 |
2 कोरिन्थी 8 / 2को 8 |
2 कोरिन्थी 9 / 2को 9 |
2 कोरिन्थी 10 / 2को 10 |
2 कोरिन्थी 11 / 2को 11 |
2 कोरिन्थी 12 / 2को 12 |
2 कोरिन्थी 13 / 2को 13 |
|
|
|
|
|