1 |
जखन अपुल्लोस कोरिन्थ नगर मे छलाह, तखन पौलुस समुद्र सँ दूर वला इलाका सभ दऽ कऽ इफिसुस नगर अयलाह, जतऽ हुनका किछु शिष्य सभ भेटलनि। |
2 |
ओ ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ जखन विश्वास कयलहुँ तँ की पवित्र आत्मा अहाँ सभ केँ प्राप्त भेलाह?” ओ सभ उत्तर देलकनि, “नहि। हम सभ तँ से सुननहु नहि छी जे पवित्र आत्मा होइत छथि।” |
3 |
पौलुस पुछलथिन, “तँ कोन बात विश्वास कऽ कऽ बपतिस्मा लेलहुँ?” ओ सभ जबाब देलकनि, “जे बात यूहन्ना सिखबैत छलाह।” |
4 |
एहि पर पौलुस ओकरा सभ केँ बुझौलथिन, “यूहन्नाक बपतिस्मा ई देखयबाक लेल छल जे, पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलहुँ, मुदा यूहन्ना लोक सभ केँ इहो सिखबैत छलाह जे, जे हमरा बाद मे आबि रहल छथि, अर्थात् यीशु, तिनका पर विश्वास करू।” |
5 |
ओ सभ ई बात सुनि यीशुक नाम मे बपतिस्मा लेलक। |
6 |
पौलुस ओकरा सभ पर हाथ रखलनि तँ पवित्र आत्मा ओकरा सभ मे अयलाह। ओ सभ अनजान भाषा मे बाजऽ लागल आ प्रभु सँ पाओल सम्बाद सभ सुनाबऽ लागल। |
7 |
ओ सभ करीब बारह गोटे छल। |
8 |
तीन मास धरि पौलुस ओतुक्का सभाघर मे जा कऽ निर्भयतापूर्बक लोक सभ सँ बात-चीत आ तर्क-वितर्क कऽ कऽ ओकरा सभ केँ परमेश्वरक राज्यक विषय मे बुझबैत रहलाह। |
9 |
मुदा जखन ओकरा सभ मे सँ किछु लोक जिद्दिया कऽ शुभ समाचार नहि मानलक आ सौंसे सभाक सामने मे प्रभुक बाटक निन्दा करऽ लागल, तँ पौलुस ओकरा सभ केँ छोड़ि देलनि आ शिष्य सभ केँ अपना संग लऽ कऽ चल अयलाह। आब ओ सभ तुरन्नुस नामक व्यक्तिक भवन मे जा कऽ प्रति दिन तर्क-वितर्क करऽ लगलाह। |
10 |
ई क्रम दू वर्ष धरि चलल। फलस्वरूप आसिया प्रदेश मे रहऽ वला सभ लोक, यहूदी आ यूनानी दूनू, प्रभुक वचन सुनऽ पौलक। |
11 |
परमेश्वर पौलुसक माध्यम सँ बहुत अद्भुत चमत्कार करैत छलाह। |
12 |
लोक सभ रुमाल आ अंगपोछा हुनका देह मे छुआ कऽ अस्वस्थ लोक सभ लग लऽ जाइत छल, तँ ओ सभ अपना बिमारी सँ मुक्त भऽ जाइत छल आ दुष्टात्मा सभ ओकरा सभ मे सँ निकलि जाइत छलैक। |
13 |
एहि पर एम्हर-ओम्हर घुम-फिर करऽ वला किछु यहूदी ओझा-गुनी दुष्टात्मा सँ ग्रसित लोक सभ पर यीशुक नामक प्रयोग करबाक कोशिश कयलक। ओ सभ दुष्टात्मा सभ केँ एना कहैत छलैक, “यीशुक नाम सँ, जिनकर प्रचार पौलुस करैत छथि, हम तोरा आज्ञा दैत छिऔ—तोँ एकरा मे सँ निकल!” |
14 |
एहि ओझा-गुनी सभ मे यहूदी सभक एक मुख्यपुरोहित, जिनकर नाम स्कीवा छलनि, तिनकर सातटा बेटा सेहो छल। |
15 |
एक बेर दुष्टात्मा ओकरा सभ केँ उत्तर देलकैक, “यीशु केँ हम जनैत छियनि, आ पौलुस केँ चिन्हैत छियनि, लेकिन तोँ सभ के छेँ?” |
16 |
तखन ओ दुष्टात्मा लागल आदमी ओकरा सभ पर झपटि कऽ सभ केँ पछाड़ि देलकैक, आ ततेक मारलकैक-पिटलकैक, जे ओ सभ नंगटे आ घायल भऽ कऽ ओहि घर सँ भागि गेल। |
17 |
एहि घटनाक बारे मे जखन इफिसुसक निवासी, यहूदी आ यूनानी सभ सुनलक, तँ ओकरा सभ केँ बड़का डर सन्हिया गेलैक, आ प्रभु यीशुक प्रति आदर बहुत बढ़ि गेलैक। |
18 |
विश्वासिओ सभ मे सँ बहुत गोटे आबि कऽ अपन गलत काज सभ खुलि कऽ मानि लेलक, |
19 |
आ बहुत जादू-टोना करऽ वला सभ अपन पोथी सभ जमा कऽ कऽ सभक सामने मे जरा देलक। जखन ओहि सभ पोथीक मूल्यांकन कयल गेल तँ ओ पचास हजार चानीक सिक्काक छल। |
20 |
एहि तरहेँ प्रभुक वचन आरो पसरैत गेल, और शक्ति आ प्रभाव मे बढ़ैत गेल। |
21 |
एहि घटना सभक बाद पौलुस अपना मोन मे मकिदुनिया और अखाया प्रदेश दऽ कऽ यरूशलेम जयबाक निर्णय कऽ लेलनि। ओ कहलनि, “ओतऽ पहुँचलाक बाद हमरा रोम सेहो गेनाइ आवश्यक अछि।” |
22 |
तखन ओ अपन दूटा सहकर्मी तिमुथियुस आ इरास्तुस केँ आगाँ मकिदुनिया पठा कऽ अपने किछु दिन आओर आसिया प्रदेश मे रहलाह। |
23 |
एही समय मे प्रभुक “बाट” केँ लऽ कऽ इफिसुस शहर मे बड़का खलबली मचि गेल। |
24 |
देमेत्रियुस नामक एक सोनार, जे अरतिमिस देवीक मन्दिरक चानीक मुरुत बनबैत छल आ कारीगर सभ केँ सेहो बहुते काज दिअबैत छल, |
25 |
से एक दिन अपन कारीगर सभ आ एहि व्यवसाय सँ सम्बन्धित आरो कारीगर सभ केँ सेहो जमा कऽ कऽ कहलकैक, “यौ भाइ लोकनि! अहाँ सभ केँ बुझले अछि जे अपना सभक सभ धन-सम्पत्ति एही व्यवसाय सँ अछि। |
26 |
और इहो देखि आ सुनि रहल छी जे ई पौलुस कोना इफिसुसो मे आ करीब-करीब सौंसे आसिया प्रदेश मे बहुतो लोक केँ समझा-बुझा कऽ बहका देने छैक जे, हाथक बनाओल देवता तँ देवता अछिए नहि। |
27 |
एहि सँ एतबे बातक खतरा नहि, जे अपना सभक व्यवसायक प्रतिष्ठा जाइत रहत, बल्कि एकरो जे महान् देवी अरतिमिसक मन्दिर तुच्छ बुझल जयतनि, और ई देवी जिनकर पूजा आसिया प्रदेश मे आ सौंसे संसार मे सेहो कयल जाइत छनि, तिनकर ईश्वरीय गौरव समाप्त भऽ जयतनि।” |
28 |
ई सुनि ओकरा सभक क्रोध भड़कि उठल और ओ सभ जोर-जोर सँ नारा लगाबऽ लागल जे, “इफिसी सभक अरतिमिस देवी महान् छथि!” |
29 |
आब सौंसे शहर मे हुल्लड़ि मचि गेल। लोक सभ गयुस और अरिस्तर्खुस, जे मकिदुनिया प्रदेशक छलाह आ पौलुसक संग यात्रा कऽ रहल छलाह, तिनका सभ केँ पकड़ि लेलकनि आ सभ केओ एक जुट भऽ कऽ खेलक मैदान दिस दौड़ि पड़ल। |
30 |
पौलुस भीड़क समक्ष जा कऽ लोक सभ केँ किछु कहऽ चाहैत छलाह, मुदा आरो शिष्य सभ हुनका ओतऽ नहि जाय देलथिन। |
31 |
आसियाक किछु उच्चाधिकारी सभ, जे पौलुसक मित्र छलनि, सेहो हुनका खबरि पठा कऽ आग्रह कयलथिन जे ओ मैदान मे जयबाक कोशिश नहि करथि। |
32 |
एम्हर मैदान मे लोक सभक बीच ततेक गड़बड़ी छल जे ओ सभ हल्ला कऽ कऽ केओ किछु कहैत छल, तँ केओ किछु। विशेष लोक इहो नहि जनैत छल जे एतऽ आयल छी किएक। |
33 |
तखन यहूदी सभ सिकन्दर केँ ठेलि-ठालि कऽ प्रवक्ताक रूप मे सभाक आगाँ ठाढ़ कऽ देलकनि, और भीड़ मे सँ किछु लोक हुनका निर्देश देबऽ लगलनि। ओ भीड़ केँ चुप रहबाक लेल हाथ सँ संकेत कऽ कऽ लोक केँ बुझाबऽ लगलाह, |
34 |
मुदा लोक सभ जखन बुझलक जे ई यहूदी अछि तँ करीब दू घण्टा धरि एक स्वर मे नारा लगबैत रहल जे, “इफिसी सभक अरतिमिस देवी महान् छथि!” |
35 |
अन्त मे शहरक प्रधानजी भीड़ केँ शान्त कयलनि आ कहलथिन, “यौ इफिसुस-निवासी सभ! की संसारक प्रत्येक मनुष्य ई नहि जनैत अछि जे इफिसुस शहर महान् देवी अरतिमिसक मन्दिर आ आकाश सँ खसल हुनकर मुरुतक रक्षक अछि? |
36 |
ई बात जखन निर्विवाद अछि तँ अहाँ सभ केँ शान्त रहबाक चाही आ बिनु सोचने-विचारने किछु नहि करबाक चाही। |
37 |
कारण, अहाँ सभ तँ एहन व्यक्ति सभ केँ पकड़ि कऽ अनने छी जे ने तँ मन्दिर केँ लुटने अछि आ ने अपना सभक देवीक अपमान कयने अछि। |
38 |
तेँ जँ देमेत्रियुस आ हुनकर संगी कारीगर सभ केँ ककरो सँ सिकायत छनि तँ कचहरी खुजल अछि आ न्यायाधीश लोकनि सेहो छथि। ओ सभ अपन अभियोग कचहरी मे पेश करथु। |
39 |
और जँ अहाँ सभ कोनो दोसर प्रश्न उठाबऽ चाहैत होइ तँ तकर निर्णय नियमित नागरिक-सभा मे कयल जायत। |
40 |
एखन हमरा डर अछि जे अजुका घटनाक कारणेँ कतौ अपना सभ पर दंगाक आरोप ने लगाओल जाय, कारण ई हुल्लड़ि बिनु कारणेँ छल, आ एकरा बारे मे अपना सभ कोनो उत्तर नहि दऽ सकब।” |
41 |
एतबा कहि ओ सभा केँ समाप्त कऽ देलनि। |
Maithili Bible 2010 |
©2010 The Bible Society of India and WBT |
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