1 |
जखन पाँचम स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि, तँ हम एकटा तारा देखलहुँ जे आकाश सँ पृथ्वी पर खसल छल। ओहि तारा केँ अथाह कुण्डक कुंजी देल गेलैक। |
2 |
ओ अथाह कुण्ड केँ खोललक। एहि पर ओहि कुण्डक धुआँ, जे बड़का भट्ठाक धुआँ सन छल, बहरायल। ओहि धुआँ सँ सूर्य छेका गेल आ आकाश अन्हार भऽ गेल। |
3 |
ओहि धुआँ मे सँ पृथ्वी पर फनिगा सभ बाहर आयल। ओकरा सभ केँ एहन शक्ति देल गेलैक, जेहन पृथ्वी परक बिच्छु सभक होइत छैक। |
Maithili Bible 2010 |
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