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जँ सभ वस्तु एहि प्रकार सँ नष्ट होमऽ वला अछि, तँ अहाँ सभ केँ केहन लोक होयबाक चाही? अहाँ सभ केँ ई चाही जे “परमेश्वरक दिनक” प्रतीक्षा करैत और ओकरा जल्दी लयबाक प्रयास करैत पवित्र आ भक्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करी। ओहि दिन आकाश जरि कऽ नष्ट भऽ जायत आ सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ प्रचण्ड ताप सँ पिघलि जायत। |
Maithili Bible 2010 |
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