मसीह-दूत 27:27-44 |
27. चौदहम राति मे जखन आद्रिया सागर मे एम्हर-ओम्हर भटकि रहल छलहुँ तँ करीब दुपहर राति कऽ नाविक सभ केँ बुझयलैक जे कोनो कछेरक लग मे आबि गेल छी। |
28. ओ सभ जखन थाह लेलक तँ ओतऽ अस्सी हाथ गहिंराइ छलैक। कनेक कालक बाद फेर थाह लेलक तँ साठि हाथ भेटलैक। |
29. एहि डरेँ जे कहीं पाथर सभ मे ने टकरा जाइ ओ सभ जहाजक पछिलका भाग सँ चारिटा लंगर समुद्र मे खसा देलक आ भोर होयबाक प्रतीक्षा करऽ लागल। |
30. नाविक सभ केँ जहाज पर सँ भागि जयबाक विचार छलैक, तेँ जहाजक अगिला भाग सँ लंगर खसयबाक बहाना सँ ओ सभ छोटका नाव समुद्र मे उतारने छल। |
31. मुदा पौलुस सेनाक कप्तान और सैनिक सभ केँ कहलथिन, “ई सभ जँ जहाज पर नहि रहत तँ अहूँ सभ नहि बाँचब।” |
32. तेँ सैनिक सभ रस्सी सभ काटि कऽ ओहि छोटका नाव केँ समुद्र मे दहा देलक। |
33. जखन भोर होमऽ-होमऽ पर छल तँ पौलुस सभ केँ भोजन करबाक लेल आग्रह कयलथिन। ओ कहलथिन, “आइ चौदह दिन भऽ गेल जे अहाँ सभ चिन्ताक कारणेँ भूखले छी, किछु नहि खयलहुँ हँ। |
34. आब हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी, किछु खा लिअ! नहि तँ बाँचब कोना? अहाँ सभ मे सँ ककरो कोनो तरहक हानि नहि होयत।” |
35. एतबा कहि ओ रोटी लेलनि आ सभक सामने मे परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ रोटी तोड़ि खाय लगलाह। |
36. एहि सँ सभ केँ साहस भेटलैक आ ओहो सभ भोजन करऽ लागल। |
37. जहाज पर सभ मिला कऽ हम सभ 276 गोटे छलहुँ। |
38. भरि इच्छा भोजन कयलाक बाद ओ सभ जहाज परक भार हल्लुक करबाक लेल गहुम केँ समुद्र मे फेकि देलक। |
39. भोर भेला पर ओ सभ ओहि लगक जगह केँ नहि चिन्हि सकल, मुदा ओकरा सभक दृष्टि कछेर परक एक लम्बा-चौड़ा बालु वला भाग पर पड़लैक, और ओ सभ निर्णय कयलक जे जँ सम्भव होअय तँ जहाज केँ ओही भाग मे लगाओल जाय। |
40. ओ सभ लंगरक रस्सी सभ काटि कऽ लंगर सभ केँ समुद्र मे छोड़ि देलक, आ संगहि पतवारक बन्हन ढील कऽ देलक। तखन जहाजक अगिला भागक पाल हवाक सम्मुख चढ़ा कऽ कछेर दिस आगाँ बढ़ल। |
41. मुदा जहाज पानि मेहक बलुआह भाग मे टकरा कऽ फँसि गेल। जहाजक अगिला भाग तेना धँसि गेल जे टस्स सँ मस्स नहि होइत छल, आ पछिलका भाग बड़का लहरि सभ सँ टकरा-टकरा कऽ टुकड़ा-टुकड़ा भऽ रहल छल। |
42. सैनिक सभक विचार छलैक जे कैदी सभ केँ जान सँ मारि दी जाहि सँ केओ हेलि कऽ भागि नहि सकय। |
43. मुदा सेनाक कप्तान केँ पौलुसक जान बचयबाक इच्छा छलनि, तेँ ओ ओकरा सभ केँ एना करऽ सँ रोकि देलथिन। ओ आज्ञा देलनि जे जकरा सभ केँ हेलऽ अबैत होइक से सभ पहिने पानि मे कुदय और हेलि कऽ कछेर पर चल जाय, |
44. आ बाँकी लोक काठक पटरा वा जहाजक कोनो टुटल टुकड़ाक सहारा लऽ कऽ पाछाँ सँ जाय। एना कऽ कऽ सभ केओ ओहि भूमि पर सकुशल पहुँचि गेलहुँ। |