लूका 9:18-36 |
18. एक बेर यीशु एकान्त मे प्रार्थना कऽ रहल छलाह आ हुनकर शिष्य सभ हुनका संग छलनि, तँ ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “हम के छी, ताहि सम्बन्ध मे लोक की कहि रहल अछि?” |
19. ओ सभ उत्तर देलथिन, “किछु लोक सभ ‘बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना’ कहैत अछि, किछु लोक ‘एलियाह’ आ किछु लोक सभ कहैत अछि जे प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि मे सँ केओ जीबि उठलाह अछि।” |
20. ओ पुछलथिन, “और अहाँ सभ?—अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ परमेश्वरक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह छी।” |
21. एहि पर यीशु हुनका सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे, “ई बात ककरो नहि कहिऔक।” |
22. फेर आगाँ कहऽ लगलथिन, “ई आवश्यक अछि जे मनुष्य-पुत्र बहुत दुःख सहय, बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ द्वारा तुच्छ ठहराओल जाय, जान सँ मारल जाय आ तेसर दिन जिआओल जाय।” |
23. तखन यीशु सभ केँ कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि तँ ओ अपना केँ त्यागि, प्रतिदिन हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ, और हमरा पाछाँ चलओ। |
24. कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि, से ओकरा गमाओत, और जे केओ हमरा लेल अपन जीवन गमबैत अछि, से ओकरा बचाओत। |
25. जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय मुदा अपना केँ गमा लय वा नष्ट कऽ लय तँ ओकरा की लाभ भेलैक? |
26. जँ केओ हमरा और हमर शिक्षा सँ लजाइत अछि, तँ ओकरो सँ मनुष्य-पुत्र ओहि समय मे लजायत जखन ओ अपना महिमाक संग आ पिताक और पवित्र स्वर्गदूत सभक महिमाक संग आओत। |
27. और हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक परमेश्वरक राज्य नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।” |
28. एहि बात सभक करीब आठ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, यूहन्ना और याकूब केँ लऽ कऽ प्रार्थना करबाक लेल पहाड़ पर गेलाह। |
29. जखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह तँ हुनकर मुँहक रूप बदलि गेलनि, और हुनकर वस्त्र बिजलोका जकाँ चमकऽ लगलनि। |
30. एकाएक दू पुरुष, मूसा और एलियाह, |
31. स्वर्गिक इजोत सँ चमकैत और यीशु सँ बात करैत देखाइ देलनि। ओ सभ हुनकर मृत्युक सम्बन्ध मे बात कऽ रहल छलाह, जकरा द्वारा ओ यरूशलेम मे परमेश्वरक इच्छा पूरा करऽ वला छलाह। |
32. पत्रुस और हुनकर संगी सभ औँघाय लागल छलाह, मुदा जखन पूर्ण रूप सँ सचेत भेलाह तँ यीशुक स्वर्गिक सुन्दरता और हुनका संग ठाढ़ ओहि दूनू पुरुष केँ देखलथिन। |
33. जखन ओ दूनू पुरुष यीशु लग सँ विदा होमऽ लगलाह तँ पत्रुस यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी! हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी! हम सभ एतऽ तीन मण्डप बनाबी—एक अहाँक लेल, एक मूसाक लेल, और एक एलियाहक लेल।” ओ अपनो नहि जनैत छलाह जे हम की बाजि रहल छी। |
34. ओ ई बात बाजिए रहल छलाह कि एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि। शिष्य सभ मेघ सँ झँपा कऽ डेरा गेलाह। |
35. तखन मेघ मे सँ ई आवाज आयल, “ई हमर पुत्र छथि, जिनका हम चुनने छी। हिनका बात पर ध्यान दिअ!” |
36. ई आकाशवाणी भेलाक बाद शिष्य सभ देखलनि जे यीशु असगर छथि। एहि घटनाक सम्बन्ध मे ओ सभ चुप रहलाह और जे किछु देखने छलाह तकर चर्चा ओहि समय मे ककरो सँ नहि कयलनि। |