मत्ती 9:18-38 |
18. यीशु हुनका सभ केँ ई बात सभ कहिए रहल छलाह कि सभाघरक एक अधिकारी अयलथिन आ हुनका सामने ठेहुन रोपि कऽ कहलथिन, “हमर बेटी एखने तुरत मरि गेलि अछि, मुदा तैयो अपने चलि कऽ अपन हाथ ओकरा पर राखि देल जाओ—तँ ओ जीबि जायत।” |
19. यीशु उठि कऽ अपना शिष्य सभक संग हुनका पाछाँ विदा भऽ गेलाह। |
20. तखने एक स्त्री जकरा बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला बिमारी छलैक, से पाछाँ सँ आयल आ यीशुक कपड़ाक कोर छुबि लेलक। |
21. ओ अपना मोन मे सोचि रहल छलि जे, “हम जँ हुनकर कपड़ो केँ छुबि लेब तँ स्वस्थ भऽ जायब।” |
22. यीशु पाछाँ घूमि कऽ ओकरा देखलनि आ कहलथिन, “बेटी, साहस राखह, तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह।” ओ स्त्री ओही घड़ी स्वस्थ भऽ गेलि। |
23. यीशु सभाघरक अधिकारीक ओहिठाम पहुँचलाह तँ ओतऽ शोक मे बाँसुरी बजौनिहार सभ आ आरो लोक सभ केँ हल्ला-गुल्ला करैत देखलथिन। |
24. ओ कहलथिन, “हटै जाइ जाउ, बच्ची मरल नहि अछि; सुतल अछि।” एहि पर लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल। |
25. लोकक भीड़ जखन बाहर कयल गेल तँ यीशु घरक भीतर गेलाह। ओ बच्चीक हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन और बच्ची उठि बैसलि। |
26. ई समाचार ओहि प्रान्तक कोना-कोना मे पसरि गेल। |
27. यीशु ओतऽ सँ आगाँ बढ़लाह तँ दू आन्हर व्यक्ति एहि तरहेँ सोर पारैत हुनका पाछाँ-पाछाँ चलऽ लगलनि जे, “यौ दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” |
28. यीशु जखन घर मे गेलाह तँ ओ आन्हर व्यक्ति सभ हुनका लग अयलनि। यीशु ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “की तोरा सभ केँ विश्वास छह जे हम ई काज कऽ सकैत छी?” ओ सभ कहलकनि, “हँ, प्रभु।” |
29. तखन यीशु ओकर सभक आँखि केँ छुबैत कहलथिन, “जेहन तोहर सभक विश्वास छह तहिना तोरा सभक लेल होअह।” |
30. एतबा कहैत देरी ओकर सभक आँखि ठीक भऽ गेलैक। यीशु ओकरा सभ केँ चेतावनी देलथिन जे, “सुनह, ई बात ककरो नहि कहिअहक।” |
31. मुदा ओ सभ घर सँ निकलि कऽ सम्पूर्ण जिला मे हुनकर कीर्ति सुना देलकनि। |
32. ओ दूनू व्यक्ति केँ घर सँ निकलिते किछु लोक दुष्टात्मा सँ ग्रसित एक बौक आदमी केँ यीशु लग अनलकनि। |
33. दुष्टात्मा केँ ओकरा मे सँ निकालि देल गेलाक बाद ओ बौक आदमी बाजऽ लागल। ई देखि भीड़क लोक सभ आश्चर्यित भऽ कहऽ लागल जे, “इस्राएल मे एहन बात कहियो नहि भेल छल।” |
34. मुदा फरिसी सभ कहऽ लगलाह जे, “ई दुष्टात्मा सभक मुखियाक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” |
35. यीशु नगर-नगर, गाम-गाम घुमऽ लगलाह। ओ यहूदी सभक सभाघर सभ मे उपदेश दैत छलाह, परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनबैत छलाह आ लोक सभ केँ सभ तरहक कष्ट-बिमारी सँ मुक्त करैत छलाह। |
36. लोकक भीड़ केँ देखि कऽ हुनका दया होइत छलनि, कारण ओ सभ पीड़ित आ असहाय छल—ओहि भेँड़ी सभ जकाँ जकर केओ चरबाह नहि होइक। |
37. तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “पाकल फसिल तँ बहुत अछि, मुदा काटऽ वला मजदूर कम अछि। |
38. तेँ खेतक मालिक सँ प्रार्थना करिऔन जे ओ अपना खेत मे आरो मजदूर पठबथि।” |