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मत्ती 14:1-21 |
1. ओहि समय मे ओहि प्रदेशक शासक हेरोद यीशुक काज सभक चर्चा सुनलनि। |
2. ओ अपन दरबारी सभ केँ कहलनि, “ई तँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना अछि! ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठल अछि, आ तेँ चमत्कार करबाक एहन सामर्थ्य ओकरा मे क्रियाशील अछि।” |
3. यूहन्ना हेरोद द्वारा कोना मरबाओल गेल छलाह से घटना एहि प्रकारेँ अछि—हेरोद अपन भाय फिलिपुसक स्त्री हेरोदियासक कारणेँ यूहन्ना केँ पकड़बा कऽ बन्हबौने छलथिन आ जहल मे राखि देने छलथिन, |
4. किएक तँ यूहन्ना हेरोद केँ बेर-बेर कहने छलथिन जे, “अहाँ भायक स्त्री केँ राखि कऽ धर्म-नियमक आज्ञाक उल्लंघन कऽ रहल छी।” |
5. हेरोद यूहन्ना केँ मारि देबऽ चाहैत छलाह, मुदा ओ लोक सभ सँ डेराइत छलाह, किएक तँ लोक सभ यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छलनि। |
6. मुदा जखन हेरोदक जन्म-दिन अयलनि तँ हेरोदियासक बेटी अतिथि सभक सामने नाँचि कऽ हेरोद केँ ततेक ने प्रसन्न कऽ देलकनि |
7. जे ओ सपत खाइत ओकरा वचन देलथिन जे, “तोँ जे किछु हमरा सँ मँगबह, से हम तोरा देबह।” |
8. बच्चीक माय ओकरा सिखा-पढ़ा कऽ कहबौलकैक जे, “हमरा बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक मूड़ी एखने थारी मे अनबा दिअ।” |
9. ई सुनि राजा उदास भऽ गेलाह, मुदा तैयो अपन सपत आ उपस्थित आमन्त्रित सभक कारणेँ ओ आज्ञा देलनि जे ओकर माँग पूरा कयल जाय। |
10. ओ सिपाही केँ पठा कऽ जहल मे यूहन्नाक मूड़ी कटबा देलथिन। |
11. यूहन्नाक मूड़ी एकटा थारी मे आनल गेल आ बच्ची केँ दऽ देल गेलैक। ओ लऽ कऽ चलि गेल और अपना माय केँ दऽ देलकैक। |
12. यूहन्नाक शिष्य सभ अयलाह आ अपन गुरुक लास लऽ जा कऽ कबर मे राखि देलथिन। तकरबाद जा कऽ ई समाचार यीशु केँ सुनौलथिन। |
13. यीशु ई समाचार सुनि एकटा नाव पर बैसि कऽ चुप-चाप कोनो एकान्त स्थानक लेल विदा भऽ गेलाह। लोक सभ जखन ई बात बुझलक तँ नगर-नगर सँ बहुतो लोक पैदले हुनका पाछाँ विदा भऽ गेल। |
14. यीशु जखन नाव सँ उतरलाह आ लोकक बड़का भीड़ केँ जमा देखलनि तँ हुनका ओहि लोक सभ पर दया आबि गेलनि और ओकरा सभ मे जे रोगी-बिमार सभ छलैक तकरा सभ केँ ओ स्वस्थ कऽ देलथिन। |
15. जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “ई जगह बस्ती सँ दूर अछि आ साँझ पड़ऽ वला अछि, तेँ एकरा सभ केँ विदा कऽ दिऔक जाहि सँ ई सभ लग-पासक गाम सभ मे जा कऽ अपना लेल किछु खयबाक वस्तु किनि सकत।” |
16. मुदा यीशु शिष्य सभ केँ उत्तर देलथिन, “एकरा सभ केँ एतऽ सँ पठयबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि। अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” |
17. शिष्य सभ कहलथिन, “हमरा सभ लग, बस, पाँचेटा रोटी आ दुइएटा माछ अछि।” |
18. यीशु कहलथिन, “ओ सभ हमरा लग आनू।” |
19. तकरबाद ओ लोक सभ केँ घास पर बैसि जयबाक आज्ञा देलथिन। ओहि पाँचटा रोटी आ दूटा माछ केँ ओ हाथ मे लेलनि और स्वर्ग दिस तकैत परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। तखन ओ रोटी केँ तोड़ि-तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ शिष्य सभ लोक सभ मे परसि देलनि। |
20. सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक और शिष्य सभ जखन उबरल टुकड़ा सभ बिछलनि तँ ओ बारह पथिया भेल। |
21. भोजन करऽ वला मे स्त्रीगण आ बच्चा सभ केँ छोड़ि पुरुषक संख्या लगभग पाँच हजार छल। |
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