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मत्ती 18:21-35 |
21. तकरबाद पत्रुस यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “यौ प्रभु, हमर भाय जँ हमरा संग अपराध करय तँ कतेक बेर हम ओकरा क्षमा करैत रहिऐक? की सात बेर तक?” |
22. यीशु कहलथिन, “हम तँ कहैत छी, सात बेर नहि, बल्कि सात सँ सत्तरिक जे गुणनफल होयत ततेक बेर। |
23. “कारण, स्वर्गक राज्यक तुलना एहन राजा सँ कयल जा सकैत अछि जे अपन राज्यक कर्मचारी सभ सँ हिसाब-किताब लेबऽ चाहलनि। |
24. जखन ओ हिसाब-किताब लेबऽ लगलाह तँ हुनका लग एक कर्मचारी केँ लाओल गेल, जकरा पर दस हजार सोनक रुपैया ऋण छलनि। |
25. ओहि कर्मचारी लग ऋण सधयबाक लेल किछु नहि छलैक तेँ ओकर मालिक आज्ञा दऽ देलथिन जे, एकरा, एकर स्त्री आ बाल-बच्चा केँ और एकर सभ सामान बेचि कऽ एकरा सँ ऋण असूल कयल जाय। |
26. ई सुनि ओ कर्मचारी अपना मालिकक पयर पर खसि कऽ विनती करऽ लागल जे, ‘यौ सरकार, धैर्य राखल जाओ, हम अपनेक सम्पूर्ण ऋण सधा देब।’ |
27. मालिक ओकरा पर दया कऽ कऽ ओकरा छोड़ि देलथिन आ ओकर सम्पूर्ण ऋण माफ कऽ देलथिन। |
28. मुदा ओ कर्मचारी जखन ओतऽ सँ बाहर भेल तँ ओकरा संग काज करऽ वला एक दोसर कर्मचारी भेटलैक जे ओकरा सँ एक सय तामक रुपैया ऋण लेने छलैक। ओ ओकरा पकड़ि कऽ गरदनि चभैत कहलकैक, ‘जे किछु तोरा पर हमर ऋण अछि, से तुरत ला!’ |
29. ओ कर्मचारी ओकरा पयर पर खसि कऽ विनती करऽ लागल, ‘धैर्य राखू, हम अहाँक ऋण सधा देब।’ |
30. मुदा ओ नहि मानलक आ जा कऽ ओकरा जहल मे रखबा देलकैक जे जाबत तक ऋण नहि सधाओत ताबत तक जहल मे रहओ। |
31. ई देखि दोसर कर्मचारी सभ केँ बहुत दुःख भेलैक आ ओ सभ जा कऽ सम्पूर्ण घटना मालिक केँ कहि सुनौलकनि। |
32. तकरबाद मालिक ओहि कर्मचारी केँ बजबा कऽ कहलथिन, ‘है दुष्ट नोकर, तोँ हमरा सँ विनती कयलेँ तँ हम तोहर सम्पूर्ण ऋण माफ कऽ देलिऔक। |
33. तँ की ई उचित नहि छल जे जहिना हम तोरा संग दया कयलिऔ, तहिना तोहूँ अपन संगी-कर्मचारीक संग दया करिते?’ |
34. मालिक केँ ओहि कर्मचारी पर बहुत क्रोध भऽ गेलनि आ ओ ओकरा दण्ड देबाक लेल जहल मे पठबा देलथिन जे जाबत तक ओ पूरा ऋण सधा नहि दय ताबत तक जहल मे रहओ। |
35. तेँ जँ अहूँ सभ अपना भाय केँ हृदय सँ क्षमा नहि करबैक तँ हमर स्वर्गीय पिता अहूँ सभक संग ओहने व्यवहार करताह।” |
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